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Sunday, January 26, 2014

NSDC STAR SCHEME



भारत सरकार की तरफ से फ्री में ट्रेनिंग करो और साथ में पैसे पाओ  

Friday, January 24, 2014

NSDC Star Scheme at GRRM INSTITUTE Barotiwala

Retail Sector

Designed in-line with the guidelines of 'Retailer Association's Skill Council of India (RASCI) all the programs under the 'Retail' domain prepare students for specific job roles in the Retail Industry, like Store Operations, Sales Associate, etc. Under these programs the students will be trained in merchandise display, interacting with customers to understand their needs, providing specialized services and product demonstrations to the customers, handling retail store operations, etc.

Programs offered:

  • Store Operations Assistant
  • Trainee Associate
  • Sales Associate

Job Prospects:

With India requiring more than 1.75 crore skilled manpower to run the organized retail sector by the year 2022 this sector will have a large trained manpower requirement and students completing programs under 'STAR Scheme' will have an advantage in getting absorbed in this booming industry.

Store Operations Assistant



The 'Retail Store Operation Assistant' program prepares students for handling day to day store operations like receiving, moving, storing, delivering, and stock taking of products. This is an extremely important function for any retail store as people handling the store operations are responsible for ensuring that the products are available to the customer at the right time while keeping the idle inventory level low thus increasing the profitability of the store.

The training program covers:

  • Receiving goods into storage
  • Delivering products
  • Maintaining required levels of stocks
  • Maintain adequate stocks levels inside store for selling
  • Taking health and safety measures
  • Creating a positive image of self & organization in the customers' mind
  • Working effectively in a team
  • Working effectively in the organization

Eligibility:

  • Age: Minimum 18 years
  • Qualification: Class VIII (8) pass

Duration: 1 month

Trainee Associate


The 'Retail Trainee Associate' program trains the students for job roles which includes merchandise display i.e. how to stack products on shelf in a retail store,service the customers as per their needs, sale of relevant product offerings to the customers. The trainee associates perform a key function in a retail store operation since correctly stacking the right kind productsin a methodical manner has shown to generate more sales thus resulting in more revenue for the store.

The training program covers:

  • Display stock to promote sales
  • Planning and preparing visual merchandising displays
  • Dressing visual merchandising displays
  • Dismantling and storing visual merchandising displays
  • Preparing products for sale
  • Promoting loyalty schemes to customers
  • Keeping the store secure and maintaining health and safety factors of the store
  • Provide information and advice to customers
  • Creating a positive image of self & organization in the customers mind
  • Working effectively in a team
  • Working effectively in the organization

Eligibility:

  • Age: Minimum 18 years
  • Qualification: Class X (10) pass

Duration: 1 month

Sales Associate

The 'Retail Sales Associate' program prepares students for on the floor job of a retail store which includes constantly interacting with customers, giving specialized services, demonstrating product functioning, helping to maximize business, etc. Sales Associates are extremely important for generating sales and earning revenue for a retail store as they are the interface with whom customers interact before making a purchase decision.

The training program covers:

  • Demonstrating products to customers
  • Helping customers choose right products
  • Providing specialist support to customers facilitating purchases
  • Resolving customer concerns
  • Maximizing sales of goods & services
  • Providing personalized sales & post-sales service support
  • Processing credit applications for purchases
  • Keeping the store secure and maintaining health and safety factors of the store
  • Creating a positive image of self & organization in the customers mind
  • Organizing the delivery of reliable service
  • Improving customer relationship
  • Continuously improvement the service
  • Working effectively in a team
  • Working effectively in the organization

Eligibility:

  • Age: Minimum 18 years
  • Qualification: Class X (10) pass

Duration: 1 month

Thursday, January 23, 2014

National Skill Development Corporation

The Finance Minister

" A large number of youth must be motivated to voluntarily join skill development programmes. I propose to ask the National Skill Development Corporation to set the curriculum and standards for training in different skills. Any institution or body may offer training courses. At the end of the training, the candidate will be required to take a test conducted by authorized certification bodies. Upon passing the test, the candidate will be given a certificate as well as a monetary reward of an average of Rs. 10,000 per candidate. Skill-trained youth will give an enormous boost to employability and productivity. On the assumption that 10,00,000 youth can be motivated, I propose to set apart Rs. 1,000 crore for this ambitious scheme. I hope that this will be the trigger to extend skill development to all the youth of the country. "
Accordingly, this scheme is hereby implemented to achieve the stated objectives.

Finance Minister
Shri P. Chidambaram


GRRM INSTITUTE BAROTIWALA

संस्थान का फेसिंग दृश्य 
 जी आर आर एम एजुकेशन संस्थान
बरोटीवाला , उत्तम शिक्षा गुणवत्ता संस्थान
प्रवेश हेतु संपर्क करें :- 01795 650971
संस्थान के प्रबंध निदेशक जगदीश जरयाल जी

Star Scheme Launch By Govt Of India

भारत सरकार द्वारा जारी स्टार स्कीम के तहत 18 वर्ष की आयु से ऊपर वाले युवक-युवतियों को नि:शुल्क बेसिक कंप्यूटर शिक्षा दी जा रही है और 10 फरबरी तक इसकी जी आर आर एम कंप्यूटर एजुकेशन सेंटर बरोटीवाला -बद्दी  में रजिस्ट्रेशन करवाए। यह बात GRRM कंप्यूटर एजुकेशन सेंटर के चेयरमैन संजय राणा व प्रबंध निदेशक श्री जगदीश चंद जरयाल ने कही। जगदीश जरयाल ने बताया कि इसके लिए प्रत्येक को अपना आधार कार्ड व सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया या बैंक ऑफ इंडिया का बैंक खाता देना अनिवार्य है और एक डीडी सेंटम लर्निंग के नाम एक हजार का बनाना पड़ेगा। कोर्स पूरा करने के बाद उत्तीर्ण हुए छात्र-छात्राओं के बैंक खाते में दो हजार रुपये एनएसडीसी द्वारा डाले जाएंगे। इस स्कीम का पहला बैच 11 फरबरी से स्टार्ट होगा। इसके सर्टिफिकेट भी भारत सरकार द्वारा ही जारी किए जाएंगे।

अधिक  जानकारी के लिए आपसंस्थान के प्रबंध निदेशक श्री जगदीश चंद जरयाल जी से उनके मोबाईल पर संपर्क कर सकते हैं :- 082630 53184 या मेल jagdish dot grrminstitute at mail dot com

Monday, November 21, 2011

Mobile Repairing Training Center Baddi imachal Padesh

Mobile Repairing & Training Center Baddi 
जल्दी करें पहली जनवरी से फीस बढ़कर 12000/- हो रही है अत: जल्दी से इस अवसर का लाभ उठायें और अपना भविष्य सुरक्षित करें ! जयादा जानकारी के लिए संपर्क करें !

Mobile Repairing Admission

Mobile Repairing Course Baddi 
आने वाले समय का शानदार रोजगार होगा मोबाईल रिपेयरिंग का काम , तो आज ही अड्मिशन के लिए संपर्क करें ! और अपने भविष्य को चिंता रहित बनाएँ !

MOBILE PHONE REPAIR KARNA SEEKHEN

MOBILE REPAIRING INSTITUTE BADDI
आज ही मोबाईल रिपेयरिंग कोर्स में प्रवेश लें और अपना भविष्य उज्जवल बनाएँ !

Wednesday, June 1, 2011

डिप्लोमा इन कंप्यूटर फाइनेंस अकाउंट एंड टैक्स टेशन , फायदे का सौदा ..........

डिमांड में कम्प्यूटर अकाउंटिंग
इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने अकाउंटिंग जैसे मुश्किल काम को भी आसान कर दिया है। सिर्फ जरूरत है इसके लिए सब्जेक्ट की बेसिक नॉलेज के साथ-साथ सॉफ्टवेयर्स की प्रैक्टिकल नॉलेज और कम्प्यूटर ऑपरेशन में दक्षता की

अकाउंटिंग का काम बेहद जिम्मेदारी का है। इसमें पाई-पाई का हिसाब रखना होता है। जरा-सी गलती से सारा हिसाब-किताब उल्टा-पुल्टा हो सकता है। अब तक यह माना जाता रहा है कि बीकॉम या एमकॉम करके ही अकाउंटिंग के काम में सिद्धहस्त हुआ जा सकता है, लेकिन आईटी रिवॉल्यूशन ने अन्य क्षेत्रों की तरह अकाउंटिंग की दुनिया को भी बदल दिया है। यही कारण है कि अब दुनिया की किसी भी कम्पनी में मोटे-मोटे बही-खाते देखने को नहीं मिलते। इसकी बजाय अब सारा काम कम्प्यूटर की मदद से किया जाने लगा है। विशेष रूप से बनाए गए सॉफ्टवेयर्स (जैसे-टैली) की मदद से तमाम तरह की कैलकुलेशन पलक झपकते ही हो जाती हैं। इन सभी कामों के लिए अकाउंटिंग के बेसिक ज्ञान के साथ-साथ कम्प्यूटर संचालन की जानकारी जरूरी है, जिसे बहुत कम समय में सीखकर महारत हासिल की जा सकती है। खास बात यह है कि इसे किसी अच्छे संस्थान से महज बारहवीं के बाद ही किया जा सकता है और उसके तत्काल बाद कम से कम आठ से दस हजार रूपए प्रतिमाह की सैलरी पर आसानी से जॉब प्राप्त किया जा सकता है। इसका कारण यह है कि अब प्राय: सभी छोटी-बड़ी कम्पनियों में बीकॉम/एमकॉम की बजाय कम्प्यूटर अकाउंटिंग में दक्ष व्यक्ति की डिमांड है। यदि बीकॉम या एमकॉम स्टूडेंट कम्प्यूटर अकाउंटिंग का कोर्स कर लेते हैं, तो उनके लिए सोने पर सुहागा वाली स्थिति होगी। निजी क्षेत्र की कम्पनियों द्वारा ऎसे अकाउंटिंग एक्सपर्ट की भारी मांग को देखते हुए इनसे संबंधित कोर्स कराने वाले तमाम इंस्टीट्यूट प्राय: सभी शहरों में मौजूद हैं। लेकिन ऎसा कोर्स उसी संस्थान से करें, जहां बेसिक के साथ-साथ अपडेटेड जानकारी और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी दी जाती हो। इस तरह का कोर्स आमतौर पर छह माह से लेकर एक साल की अवधि का होता है और इसमें बारहवीं के बाद भी एडमिशन लिया जा सकता है
क्या सिखाते हैं कोर्स में
ऎसे कोर्स को आमतौर से सर्टिफाइड इंडस्ट्रियल अकाउंटेंट के नाम से जाना जाता है। इसके तहत सबसे पहले कॉमर्स, बैंकिंग, टैक्सेशन, टैक्स लॉ आदि की बुनियादी जानकारी दी जाती है। इसके बाद बिजनेस कम्प्यूटर एप्लीकेशन, फाइनेंशियल अकाउंटिंग, एडवांस्ड प्रैक्टिकल अकाउंट्स, टैक्सेशन, एक्साइज एंड सर्विस टैक्स, पे-रोल एंड इन्वेस्टमेंट्स, बैंकिंग और फाइनेंस से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी विस्तार से दी जाती है। कोर्स के साथ-साथ प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी दी जाती है, ताकि स्टूडेंट्स ट्रेनिंग पूरी करने के बाद एक प्रोफेशनल के रूप में तुरंत काम आरम्भ कर सकें।

Friday, May 27, 2011

कंप्यूटर हार्डवेयर एवं नेटवर्क इंजिनीयर

आज जमाना आईटी का है। घर-घर में कंप्यूटर लगे हैं। ऐसे में कंप्यूटर एसेंबलरों की जरूरत बढ़ने लगी है। एसेंबलिंग कोर्स के तहत कंप्यूटर में कोई खराबी आने पर पार्ट बदल कर दूसरा पार्ट/कार्ड या पुर्जा लगाया जाता है। इसके अलावा कोई एसेंबलर खराब कार्ड, पार्ट या पुर्जे को सिर्फ बदलने का ही काम नहीं करता, बल्कि यह खराब कार्ड या पार्ट को दुरूस्त करके उसे पूर्ववत काम करने लायक बना देता है। जाहिर है कंप्यूटर का कोई पार्ट बदलने पर खर्च अधिक आता है जबकि ठीक कर देने में नाम मात्र खर्च आता है। इसलिए आजकल एसेंबलरों की मांग काफी बढ़ गई है। यही वजह है कि कंप्यूटर हार्डवेयर का कोर्स अत्यधिक रोजगारात्मक हो गया है।
सामान्यतया कंप्यूटर एसेंबलिंग कोर्स में डिप्लोमा प्रोगाम कराया जाता है। इसकी अवधि 3 महीने से लेकर एक साल तक हो सकती है। कोर्स में बेसिक इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर फंडामेंटल्स, डिसेंबलिंग, एसेंबलिंग एंड ट्रबलशूटिंग, एबाउट वायरसेस एंड एंटी-वायरसेस, इंस्टॉलेशन ऑफ सॉफ्टवेयर की पढ़ाई होती है।
इस कोर्स में प्रवेश के लिए इंटरमीडिएट पास होना जरूरी है। यदि आपने बारहवीं विज्ञान विषयों से उत्तीर्ण किया है तो यह आपके लिए यह प्लस प्वाइंट है।
सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में कंप्यूटर असेंबलर की मांग बढ़ गई है। इस कोर्स को पूरा करने के बाद असेंबलरों को कम्प्यूटर निर्माण, एसेम्बलिंग करने वाली राष्ट्रीय/बहुराष्ट्रीय कंपनियों में अच्छे ऑफर मिलने लगते हैं। आजकल कंप्यूटर निर्माण करने वाली कंपनियां असेंबलरों को ऊंचे वेतनमान पर रोजगार दे रही हैं। इसके अलावा कंप्यूटर असेंबलर खुद का रोजगार आरंभ कर पैसे कमा सकते हैं। इस कोर्स को करने के बाद शुरूआती वेतन पांच से आठ हजार से शुरू होकर कुछ ही साल में अनुभवानुसार 15,000 रूपए तक आसानी से पहुंच जाता है।

मोबाइल रिपेयरिंग

आधुनिक युग में मोबाइल हमारे दैनिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है, इनके बिना जिंदगी की कल्पना करना भी मुश्किल-सा लगता है। फोन में किसी प्रकार की तकनीकी खराबी हो जाने पर लोगों को फोन इंजीनियर्स की आवश्यकता होती है और लोगों की इसी जरूरत ने मोबाइल फोन इंजीनियर्स को रोजगार प्रदान करने में महत्पवूर्ण भूमिका अदा की है। इस प्रोफेशन की खासियत यह है कि कोर्स करने के लिए आपको ज्यादा पैसे खर्च करने की भी जरूरत नहीं होगी। पिछले पांच-सात सालों में मोबाइल रिपेयर्स की मांग तेजी से बढ़ी है। इस कारण आने वाले समय में इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों का भविष्य काफी उज्ज्वल है। मोबाइल के बढ़ते उपयोग को देखते हुए इसके रख-रखाव, रिपेयरिंग, असेंबलिंग, सॉफ्टवेयर लोडिंग, वायरस रिमूव करने, मोबाइल अपग्रेड करने, पासवर्ड ब्रेक, रींइंस्टॉल, सेल-परचेज आदि के क्षेत्र में जॉब की असीम संभावनाएं हैं।
मोबाइल रिपेयर एक्सपर्ट बनने के लिए आपको किसी अच्छे ट्रेनिंग सेंटर का चुनाव कर उसमें प्रवेश लेना पड़ेगा। इसके लिए चुने गए सेंटर का प्रवेश फॉर्म भर कर उसके साथ दो फोटो, पता व पहचान पत्र और निर्धारित फीस जमा करें। विभिन्न संस्थानों में अलग-अलग फीस निर्धारित है। मोबाइल रिपेयरिंग के कोर्स देश के सभी बड़े शहरों में उपलब्ध हैं। इसकी अवधि तीन से छह महीने की होती है। कंप्यूटर द्वारा यह कोर्स कराने वाले संस्थान 10 से 50,000 रुपये तक फीस लेते हैं। आईटीआई से 10 से 20 हजार रुपये में यह कोर्स कर सकते हैं। यह एक सर्टीफिकेट कोर्स है, जिसे किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से किया जा सकता है। आईटीआई स्टूडेंड की सुविधानुसार एक से तीन माह में यह कोर्स कराता है।
मोबाइल इंजीनियरिंग करने के लिए कोई विशेष योग्यता पहले से निर्धारित नहीं की गई है। अधिक-से-अधिक शिक्षाप्राप्त व्यक्ति और कम पढ़ा-लिखा व्यक्ति भी इस कोर्स को करके मोबाइल रिपेयरिंग का प्रोफेशन अपना सकता है। अभ्यर्थी को हिंदी के अलावा थोड़ा बहुत अंग्रेजी की जानकारी होनी चाहिए। यदि आपको कंप्यूटर की बेसिक नॉलेज है तो यह आपके लिए प्लस प्वाइंट है।
मोबाइल रिपेयरिंग का कोर्स करने और कुछ साल का अनुभव प्राप्त कर लेने के बाद कैरियर और स्वरोजगार के कई विकल्प खुल जाते हैं, जिनमें स्वयं की मोबाइल रिपेयरिंग शॉप या सर्विस सेंटर खोलने के अलावा नोकिया, सैमसंग, पैनासोनिक और सोनी एरिक्सन जैसी मोबाइल कंपनियों के सर्विस सेंटर में नौकरी के अवसर उपलब्ध हैं। इसके अलावा आप विभिन्न कंपनियों की डीलरशिप या डिस्ट्रीब्यूटरशिप का काम भी ले सकते हैं। मोबाइल रिपेयरिंग से संबंधित कोर्स विभिन्न सरकारी व गैर-सरकारी संस्थानों में चलाए जाते हैं। मोबाइल रिपेयरिंग के क्षेत्र में कई अवसर हैं। छोटे स्तर और लघु पूंजी से यह काम शुरू किया जा सकता है। चूंकि मोबाइल फोन आज सबकी जरूरत बन चुका है, इसलिए इस स्वरोजगार क्षेत्र में काफी अवसर हैं। आप बड़ी शॉप खोलकर मोबाइल स्पेयर पार्ट्स भी बेच सकते हैं। इसके अलावा पुराने खराब मोबाइल ठीक करके उनसे भी अच्छी कमाई होगी। मोबाइल रिपेयरिंग के क्षेत्र में अधिकतम आय की कोई सीमा नहीं है। प्रशिक्षण के उपरांत कम से कम 4000 रुपए प्रतिमाह तक कमाई की जा सकती है। कार्यरक्षता और अनुभव बढ़ने के साथ वेतन बढ़ता जाता है। मोबाइल ट्रेनर के तौर पर किसी निजी प्रतिष्ठान में 25,000 रुपए प्रतिमाह से ज्यादा की भी कमाई हो सकती है।

Sunday, April 24, 2011

Welcome to GRRM Educational Institute - One of Himachal's Leading Mobile Phone Repair Training Centre

Advanced Mobile Repairing Course Syllabus 

The mobile repairing course is divided into three parts:

       1.  Theory
       2.  Practicals
       3.  Practice

      Hardware:
  • Basics of Mobile Communication.
  • Use of tools & instruments used in mobile phone repairing.
  • Details of various components used in mobile phones.
  • Basic parts of mobile phones (mic, speaker, buzzer, LCD, antenna, etc).
  • Use of multimeter.
  • Use of battery booster.
  • Basic Circuit Board / Motherboard Introduction.
  • Assembling & disassembling of different types of mobile phones.
  • Soldering & desoldering components using different soldering tools.
  • Names of different ICs.
  • Work of different ICs.
  • Working on SMD / BGA ICs and the PCB.
  • Fault finding & troubleshooting.
  • Jumpering techniques and solutions.
  • Troubleshooting through circuit diagrams.
  • Repairing procedure for fixing different hardware and advanced faults.

     Software:
  • Flashing
  • Formatting
  • Unlocking 
  • Use of secret codes
  • Downloading


    After completing the course you will learn:
  • How to repair and service minor & major handset problems.
  • How to setup your own mobile phone repair service centre.
  • How to survive in the cell phone repairing business.
  • How to make money by repairing mobiles.
BATCH TIMINGS
MORNING
EVENING
09-10
04-05
10-11
05-06
11-12
07-08
12-01
08-09
 Duration                      :    2 Months
Fast Track Course     :    1 Month / 15 Days / 7 Days


                   Join to this course hurry seats limited.

 

Friday, April 1, 2011

Carrier after 10+2

बारहवीं के बाद वह समय आरंभ होता है, जब आप स्कूल की दहलीज पार कर कॉलेज- विश्वविद्यालय के एक वृहद संसार में प्रवेश करते हैं। इस समय विद्यार्थी ऐसे चौराहे पर खडे होते हैं, जहां उन्हें एक खास रास्ते का चुनाव करना होता है। ऐसा रास्ता, जो उन्हें उनके मनपसंद करियर के मुकाम तक पहुंचाए।
कमी नहीं विकल्पों की
पहले की तुलना में आज विकल्पों की कमी नहीं है। आज इंजीनियरिंग, मेडिकल, लॉ, टीचिंग जैसे परंपरागत विषयों के साथ-साथ सैकडों नए विकल्प भी सामने आ गए हैं। ऐसे में एक या दो विषय में ही उच्च शिक्षा हासिल करने की मजबूरी नहीं रह गई है! बारहवीं के बाद ही तय करना होता है कि आप प्रोफेशनल कोर्स करना चाहते हैं या फिर एकेडमिक कोर्स।
क्या पढें, क्या न पढें
ऐसे चौराहे पर अधिकांश छात्र यह तय नहीं कर पाते कि वे क्या पढें और क्या न पढें! इस दुविधा से निकलने का कोई उपाय उन्हें नहीं सूझता। मार्गदर्शन न मिलने के कारण अधिकांश स्टूडेंट्स अपने मित्रों की देखा-देखी ही कोर्स चुन लेते हैं या फिर अपने अभिभावक की इच्छा से मेडिकल या इंजीनियरिंग की राह पर आगे बढने का प्रयास करते हैं। दूसरों की देखा-देखी या फिर अभिभावक के दबाव से किसी कोर्स का चुनाव हर स्टूडेंट के लिए सही नहीं माना जा सकता, क्योंकि ऐसी स्थिति में आगे चलकर छात्र के प्रदर्शन के साथ-साथ उसका करियर भी प्रभावित हो सकता है। चूंकि अब विकल्पों की कमी नहीं है, इसलिए अपनी पसंद के करियर का ध्यान रखकर उससे संबंधित कोर्स करना ही बेहतर होगा।
फोकस करियर पर
बारहवीं के बाद बिना किसी लक्ष्य के पढाई करने का कोई औचित्य नहीं। इस समय किसी भी तरह के कोर्स का चयन करते समय करियर को ध्यान में रखना बेहद जरूरी होता है। आप जिस फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं, उससे संबंधित कोर्सो के सभी विकल्पों पर विचार कर लें। इस बात की भी जांच कर लें कि उससे संबंधित समुचित योग्यता आपमें है या नहीं!
न करें दूसरों से तुलना
अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को इंजीनियरिंग या मेडिकल की पढाई ही कराना चाहते हैं, इस बात को समझे बिना कि वह इसमें सक्षम है या नहीं! इसके लिए वे दूसरों से तुलना भी करते हैं। यह प्रवृत्ति उचित नहीं मानी जा सकती। देखा जाए, तो वर्ष 2007 में आईआईटी की 5500 सीटों के लिए हुई प्रवेश परीक्षा जेईई में करीब ढाई लाख छात्र सम्मिलित हुए थे। 2008 में इसमें करीब सवा तीन लाख स्टूडेंट्स बैठे थे, जबकि इस साल यानी 2009 के लिए आईआईटी-जेईई में कुल 8000 सीटों के लिए लगभग नौ लाख स्टूडेंट्स शामिल हो रहे हैं। जाहिर है कि आईआईटी के लिए सिर्फ कुछ हजार युवाओं का ही चयन हो पाता है और शेष लाखों असफल होते हैं। ऐसे में जरूरी है कि इस तरह की प्रवेश परीक्षा में खुद का आकलन करके ही शामिल हों। साथ ही, एक सीधी रेखा में चलने की बजाय दूसरे करियर विकल्प पर भी जरूर विचार करें।
एकेडमिक बनाम प्रोफेशनल कोर्स
बारहवीं के बाद एकेडमिक के साथ-साथ तमाम प्रोफेशनल कोर्स भी प्राय: सभी कॉलेजों-विश्वविद्यालयों में उपलब्ध हैं। आप अपनी रुचि के अनुसार इनमें से किसी का चुनाव कर सकते हैं :
एकेडमिक कोर्सेज :  एकेडमिक कोर्सो में बीए-ऑनर्स, बीए-प्रोग्राम, बीएससी-मैथ, बीएससी-बायो, बीएससी-एग्रिकल्चर जैसे कोर्स तीन वर्षीय कोर्स हैं, जिसके बाद दो वर्षीय एमए, एमएससी और आगे एमफिल, पीएचडी भी किया जा सकता है। बीए-ऑनर्स और प्रोग्राम में भी अनगिनत विषयों के विकल्प मौजूद हैं। इसके अलावा, बीकॉम जैसा कोर्स भी किया जा सकता है। इसे पूरा करने के बाद प्रोफेशनल करियर भी अपना सकते हैं या फिर चाहें, तो इसमें आगे एमकॉम भी कर सकते हैं। इसी तरह बारहवीं के बाद पांच वर्षीय एकीकृत लॉ कोर्स करके भी एडवोकेट या लीगल एडवाइजर के रूप में करियर की शुरुआत की जा सकती है। वैसे, इसमें भी एलएलएम कर योग्यता बढाई जा सकती है या फिर लॉ टीचर के रूप में करियर का द्वार खोला जा सकता है।
प्रोफेशनल कोर्सेज :  बारहवीं पीसीएम स्टूडेंट्स आईआईटी-जेईई, एआईईईई, राज्य इंजीनियरिंग परीक्षाओं आदि में शामिल होकर विभिन्न ब्रांचों में किसी एक में चार वर्षीय बीई-बीटेक कर सकते हैं और इंजीनियर बनने की राह आसान बना सकते हैं। उधर, बारहवीं पीसीबी से करने वाले छात्र एआईपीएमटी, सीपीएमटी या अन्य मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम देकर एमबीबीएस या समकक्ष कोर्स पूरा कर डॉक्टर के रूप में करियर संवार सकते हैं। इसके अलावा, बीसीए यानी बैचलर ऑफ कम्प्यूटर ऐप्लिकेशन कोर्स करके आईटी फील्ड में जॉब पाया जा सकता है या फिर चाहें तो इसके बाद एमसीए करके योग्यता और बढा सकते हैं। इन दिनों मीडिया के ग्लैमर को देखते हुए बीजे यानी बैचलर ऑफ जर्नलिज्म कोर्स का क्रेज भी युवाओं के सिर चढकर बोल रहा है। इसके अतिरिक्त, आप अपनी रुचि के अनुसार डिजाइनिंग, एनिमेशन, मल्टी मीडिया, गेमिंग, हार्डवेयर-नेटवर्किंग, कम्प्यूटर अकाउंटिंग, फार्मेसी, क्लीनिकल रिसर्च, पैरामेडिकल आदि जैसे कोर्स करके भी आकर्षक करियर की सीढियां चढ सकते हैं।
सभी विकल्पों पर करें विचार
साइंस से बारहवीं करने वाले अधिकतर स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग या मेडिकल फील्ड में ही जाने का सपना देखते हैं। वे किसी अन्य विकल्प पर विचार नहीं करते। दरअसल, आज तमाम कॉलेज और विश्वविद्यालय बारहवीं के बाद कई तरह के जॉब ओरिएंटेड कोर्स करा रहे हैं। इनमें प्रवेश से लेकर डिग्री के साथ-साथ प्रोफेशनल योग्यता हासिल कर जॉब मार्केट में प्रवेश किया जा सकता है। अगर आप विज्ञान से बीएससी करते हैं, तो इसके बाद न्यूक्लियर साइंस, नैनो-टेक्नोलॉजी, इंडस्ट्रियल केमिस्ट्री आदि में बिना बीटेक किए सीधे एमटेक कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, कम्प्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे अप्लॉयड फिजिकल सांइस से संबंधित विषयों या बॉयोटेक्नोलॉजी, फूड टेक्नोलॉजी, फिशरीज जैसे अप्लॉयड लाइफ साइंस से संबंधित विषयों में भी बीएससी कर सकते हैं।
अधिक जानकारी के लिए ..
किसी विश्वविद्यालय से प्रोफेशनल कोर्स करने के लिए इधर-उधर भटकने के बजाय उसकी साइट पर जाकर पता करें कि स्नातक स्तर पर कौन-कौन से कोर्स उपलब्ध हैं, उनकी अवधि कितनी है तथा उस पर कितना खर्चा आएगा? इस बारे में पत्र-पत्रिकाओं में संस्थान के बारे में प्रकाशित होने वाले विज्ञापनों को भी ध्यान से पढें, क्योंकि उनसे भी आपको पर्याप्त जानकारी मिल सकती है।
आ‌र्ट्स को कम करके न आंकें
आज हर किसी की जुबां से साइंस का बखान सुनकर यह न समझें कि आ‌र्ट्स से संबंधित विषय बेकार हैं और उनमें कोई आकर्षक करियर नहीं है। आज जमाना तेजी से बदल रहा है। ऐसे में कोई विषय बेकार नहीं है। इस बात को इसी से समझा जा सकता है कि आज अधिकतर आ‌र्ट्स कॉलेज में एडमिशन के लिए कम से 70 से 75 प्रतिशत अंक की मांग की जाती है। इस स्ट्रीम के विषयों में भी अब खूब अंक मिलने लगे हैं। अगर आपकी रुचि कला वर्ग के विषयों में है, तो बेहिचक इसी रास्ते पर कदम बढाएं। हां, इस बारे में करियर संबंधी सभी विकल्पों पर भी जरूर विचार कर लें। अगर आप सही दिशा में कदम बढाते हैं, तो करियर की नई बुलंदियां छूने से आपको कोई रोक नहीं सकता।
बनाएं संतुलन
कोई भी निर्णय लेने से पहले दिल और दिमाग दोनों का संतुलन बिठाएं। दिल जहां आपको यह बताएगा कि आपको क्या करने में खुशी मिलेगी, तो वहीं दिमाग बताएगा कि क्या अच्छा है और क्या नहीं? इन दोनों के संतुलन से आप उपयोगी और सक्षम बनाने वाले करियर की ओर बढ सकते हैं। इसके साथ-साथ आज के प्रतिस्पर्धी दौर को देखते हुए सिर्फ एक ही विकल्प पर निर्भर रहने के बजाय अपने लिए एक से अधिक करियर विकल्प भी जरूर तैयार करें। इससे एक रास्ता किसी कारण बंद होने की सूरत में दूसरा रास्ता खुला रहेगा। इसके अलावा, अपनी पसंद का कोर्स चुनने से पहले इस बात की जांच भी जरूर करें कि क्या आपके पास उसके लिए आवश्यक योग्यता है? यदि इसमें कुछ कमी है, तो फिर इसे किस तरह डेवॅलप किया जा सकता है?
जरूरी बातें ..
कोई भी कोर्स चुनने से पहले अपनी रुचि, योग्यता और उसमें उपलब्ध करियर विकल्पों पर जरूर विचार करें।
दूसरों की देखा-देखी या पारंपरिक रूप से प्रचलित कोर्सों की बजाय अपनी रुचि के नए विकल्पों को आजमाने में संकोच न करें, क्योंकि अब इनमें भी आकर्षक करियर बनाया जा सकता है।
अगर आ‌र्ट्स में रुचि है, तो इसमें कदम आगे बढाने में बिल्कुल न झिझकें। इसमें भी बहुतेर े विकल्प हैं।
यदि निर्णय लेने में कोई दुविधा है, तो काउंसलर की सलाह अवश्य लें।
बारहवीं के बाद बिना किसी लक्ष्य के पढाई न करें, बल्कि पहले दिशा तय कर लें और फिर उसके अनुरूप प्रयास करें।
जो कोर्स करना चाहते हैं, उसे संचालित करने वाले सभी मान्यता प्राप्त प्रमुख संस्थानों के बारे में जरूर पता कर लें।
लक्ष्य तय करके बढाएं कदम
स्टूडेंट्स को बारहवीं के बाद कोर्स चुनते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
देखिए, बारहवीं करियर निर्धारित करने का सबसे प्रमुख पडाव होता है, इसलिए इस दौरान निर्णय लेते समय सर्वाधिक सावधानी की जरूरत होती है। किसी भी तरह के कोर्स में प्रवेश लेने से पहले अपनी रुचि और क्षमता पर ध्यान देने के साथ-साथ यह भी देखना चाहिए कि आगे चलकर उसमें किस तरह का करियर स्कोप है? आप जिस करियर को अपनाने का सपना देख रहे हैं, क्या उस कोर्स से वह पूरा हो सकता है? लोगों में प्राय: यह धारणा होती है कि साइंस पढकर ही अच्छा करियर बनाया जा सकता है! यह बात कितनी सही है?
ऐसा नहीं है कि साइंस पढकर ही अच्छा करियर बनाया जा सकता है। आज आ‌र्ट्स में जितने करियर विकल्प हैं, उतने किसी भी फील्ड में नहीं हैं। ऐसे में अगर किसी स्टूडेंट की रुचि कला से संबंधित विषयों में है, तो उसे इससे संबंधित कोर्स करने में संकोच नहीं करना चाहिए।
बारहवीं के बाद एकेडमिक कोर्स करना चाहिए या प्रोफेशनल कोर्स?
यह बात हर स्टूडेंट पर अलग-अलग लागू होती है कि वह किस दिशा में करियर बनाने को इच्छुक है और उसमें किस तरह की योग्यता है? हां, बारहवीं के बाद यह जरूर देखना चाहिए कि हम जो पढ रहे हैं, वह हमें कहां ले जाएगा? क्या उस कोर्स की पढाई हमें एक बेहतर करियर के द्वार पर पहुंचा सकती है? ऐसा इसलिए, क्योंकि आगे चलकर आर्थिक आत्मनिर्भरता भी बहुत जरूरी होती है। कहने का आशय यह है कि जो कुछ आप पढें, ज्ञान और योग्यता बढने के साथ-साथ उसे जॉब पाने की दृष्टि से भी उपयोगी होना चाहिए।
मतलब, जॉब पाने के लिए स्टूडेंट्स को जॉब ओरिएंटेड कोर्स नहीं करना चाहिए?
देखिए, बेशक आज बारहवीं के बाद सरकारी और निजी क्षेत्र के संस्थानों में बडी संख्या में जॉब ओरिएंटेड कोर्स उपलब्ध हैं, लेकिन इनका चुनाव स्टूडेंट्स की परिस्थिति और उसकी योग्यता के आधार पर ही करना उपयुक्त होगा। यदि कोई स्टूडेंट अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि को देखते हुए जल्द से जल्द जॉब पाना चाहता है, तो बेशक उसके लिए जॉब ओरिएंटेड कोर्स करना ही उपयोगी होगा। लेकिन यदि कोई स्टूडेंट ज्ञान-पिपासु यानी उच्च शिक्षा पाना चाहता है, तो उसके लिए कतई जरूरी नहीं कि वह जॉब ओरिएंटेड कोर्स ही करे। ऐसा भी नहीं है कि उस उच्च शिक्षा से आगे चलकर उसे जॉब पाने में मुश्किल होगी।
जाने-माने काउंसलर जतिन चावला से अरुण श्रीवास्तव की एक्सक्लूसिव बातचीत पर आधारित

Thursday, March 31, 2011

Wednesday, March 30, 2011

खुशखबरी दूरस्थ शिक्षा प्राप्त करने वाले लोगों के लिए

Posted: 30 Mar 2011 10:30 AM PDT
विविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने दूरस्थ एमफिल और पीएचडी पर दो साल पहले लगाए गए प्रतिबंध को हटाने के लिए वैधानिक सलाह लेने का फैसला लिया है। बता दें कि इस प्रतिबंध को विभिन्न विविद्यालय अपनी स्वायत्तता पर दखल मानते हैं। इंदिरा गांधी मुक्त विविद्यालय और अन्य मुक्त विविद्यालयों और अन्य विवि की आपत्ति है कि संसद और विधानसभाओं द्वारा पारित कानून उन्हें दूरस्थ एमफिल और पीचडी कोर्स चलाने की इजाजत देते हैं। बता दें कि 2009 में यूजीसी ने एमफिल व पीएचडी डिग्री प्रदान करने के न्यूनतम मानक और प्रक्रिया के तहत दूरस्थ एमफिल व पीएचडी कोर्स पर प्रतिबंध लगाया था। यूजीसी का कहना था कि दूरस्थ पीएचडी और एमफिल की गुणवत्ता बहुत खराब होती है। यूजीसी के इस कदम से देश भर के दूरस्थ एमफिल व पीएचडी के लगभग 10 हजार विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लग गया था। यहां तक कि ऐसी डिग्रियां प्राप्त कर चुके विद्यार्थियों की डिग्री की मान्यता पर भी सवाल खड़े हो गए थे। हालांकि इग्नू ने यूजीसी के इस प्रतिबंध को स्वीकार नहीं किया और वह अपने कोर्स चलाते रहे हैं। इग्नू का मानना है कि यूजीसी के ये नियम उस पर लागू नहीं होते क्योंकि संसद से पारित कानून इग्नू को इस किस्म के कोर्स चलाने की इजाजत देता है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक पिछली तीन फरवरी को दिल्ली में आयोजित यूजीसी की बैठक में इस विषय पर चर्चा हुई और यूजीसी ने इस मामले में कानूनी राय लेने की कोशिश की है कि क्या उसके रेगुलेशन सचमुच विविद्यालयों की शक्तियों को कम कर रहे हैं। उम्मीद है कि कानूनी राय के बाद दूरस्थ पीएचडी व एमफिल कोसरे से प्रतिबंध हट जाएगा(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,30.3.11)।

Thursday, March 24, 2011

कंप्यूटर जगत् : एक बेहतर रोजगार अवसर

अगर आप एक बेहतर रोजगार की तलाश में हैं या अगर आप बेहतर रोजगार पाने के लिए उचित पाठयक्रम की तलाश में हैं, तो निकट भविष्य का, रोजगार का सुनहरा अवसर प्रदान करने वाला एकमात्र क्षेत्र है- कंप्यूटर और उससे जुड़े क्षेत्र जहां आने वाले कुछ सालों तक आपको मिलते रहेंगे स्वर्णिम रोजगार के स्वर्णिम अवसर। और ये अवसर आपको भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में मिलेंगे। वैसे भी, भारतीय उपमहाद्वीप के कंप्यूटर प्रोफेशनल्स एवं प्रोग्रामरों की तो खासतौर पर विश्व में भारी मांग है। अत: तैयार हो जाइए इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाने को।
भारतीय कंप्यूटर प्रोफेशनल्स की भारी मांग
     भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी भारतीय कंप्यूटर प्रोफेशनल्स की भारी मांग है, और आने वाले समय में इस मांग में खासी बढ़ोत्तरी की संभावना है। जहां अब तक अमेरिका की कंप्यूटर कंपनियों में भारतीय कंप्यूटर प्रोफेशनल्स का खासा दबदबा बना हुआ था, अब यूरोप के दरवाजे भी भारतीय कंप्यूटर प्रोफेशनल्स के लिए खुलने लगे हैं। अभी हाल ही में जर्मन चांसलर ने भारतीय कंप्यूटर प्रोग्रामरों को खुलेआम निमंत्रण दिया है, ताकि सूचना संचार क्रांति में पिछड़ रहे उनके देश जर्मनी को समय की रफ्तार के साथ लाया जा सके। जर्मनी की देखादेखी ऑस्ट्रिया ने भी अपने द्वार भारतीय कंप्यूटर प्रोफेशनल्स के लिए खोल दिए हैं। हालॉकि जब से जर्मनी फिर से एकीकृत हुआ है, वहां पर बेरोजगारी की दरों में बेतहाशा वृध्दि हुई है। उसके बावजूद वहां पर कंप्यूटर प्रोफेशनल्स की भारी कमी है। एक अनुमान के अनुसार वर्तमान मे वहां पर लगभग दो लाख से भी ज्यादा कंप्यूटर प्रोग्रामरों की जरूरत है। इसी वजह से वहां पर काफी विरोध होने के बावजूद भी, जर्मन सरकार ने संचार सूचना के वैश्वीकरण दौड़ में पिछड़ रही जर्मनी को रास्ते पर लाने के लिए भारतीय कंप्यूटर प्रोग्रामरों को आमंत्रित करने का फैसला लिया । और अब बारी है हमारी, जो इस बेहतरीन मौके का लाभ उठाएं।


     ऑस्ट्रिया भी जर्मनी से भिन्न नहीं है। वर्तमान में वहां पर पचपन हजार से भी ज्यादा कंप्यूटर प्रोफेशनल्स की जरूरत है, और आनेवाले दो-तीन सालों में यह आवश्यकता बढ़कर 85000 से भी ज्यादा हो जाने की संभावना है। अगर ऑस्ट्रिया और जर्मनी अपने देश के बेरोजगारों को कंप्यूटर विषयों की ट्रेनिंग देकर भी इस आवश्यकता को भरना चाहें, तो भी यह आवश्यकता बनी ही रहेगी, चूंकि जिस रफ्तार से आवश्यकता बढ़ रही है, वहां पर प्रथम तो कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सिखाने के संस्थान कम ही हैं, और जब तक साल-दो साल में वहां के लोगों को शिक्षित किया जा सकेगा, तब तक तो दुनिया बहुत आगे बढ़ जाएगी। और यही वजह है, कि भारतीय कंप्यूटर प्रोग्रामरों के लिए निमंत्रण का कालीन बिछाया जा रहा है।

अमेरिका: भारतीय कंप्यूटर प्रोफेशनल्स का स्वर्ग
कंप्यूटर प्रोफेशनल्स के लिए अमेरिका स्वर्ग जैसा है। कंप्यूटरों से संबंधित रिसर्च और डेवलपमेंट हेतु सारी सुविधाएं वहां मौजूद हैं। वहां पर भी भारतीयों ने अपने ज्ञान के झंडे गाड़े हैं। आज के बहु प्रचलित पेंटियम प्रोसेसरों को प्रारंभिक रूप से डिजाइन एक भारतीय इंजीनियर द्वारा ही किया गया। विंडोज़ आपरेटिंग सिस्टम के डेवलपमेंट हेतु बने एक प्रभाग के प्रभारी एक भारतीय ही रहे। वहां की कंप्यूटर कंपनियों में भारतीय प्रोग्रामरों की हमेशा से भारी मांग रही है। वहां की सरकार ने अभी हाल ही में कंप्यूटर प्रोफेशनल्स को विशेष रियायती वीजा प्रदान करने का फैसला लिया है, ताकि आई.टी. सेक्टर में कंप्यूटर प्रोफेशनल्स की कमी को पूरा किया जा सके। जाहिर है, इस निर्णय से हम भारतीय ही सबसे ज्यादा लाभान्वित होंगे।

कंप्यूटर के कैसे कैसे कोर्स

     एक जमाना था, जब कंप्यूटर कोर्स के नाम पर सिर्फ डॉस, वर्ड स्टार और लोटस सीख कर लोग अपने आप को कंप्यूटर के महारथी समझ लेते थे। परंतु देखते देखते ही परिस्थितियां तेजी से बदलीं। अब जरा नीचे निगाह डालिए। अच्छे अवसर के लिए निम्न लिखित में से कोई भी प्रोग्राम करिए और किसी भी अंतर्राष्ट्रीय-मल्टीनेशनल कंपनी में शानदार रोजगार पाने के लिए तैयार हो जाइए।
  •   जावा डेवलपर्स: जावा, जावाबीन्स, ईजेबी, जेडीबीसी, कॉम, कोरबा, विजुअल जे प्लस, वेब लॉजिक, वेब सर्वर्स और टूल्स।
  •   वेब डेवलपमेंट और ई-कॉमर्स: एएसपी, जावा और विजुअल बेसिक स्क्रिप्ट, विजुअल सी++, विजुअल बेसिक6, एसक्यूएल।
  •   डाटाबेस एडमिनिस्ट्रेशन: ओरेकल 8आई, साईबेस, एवं एसक्यूएल।
  •   सिस्टम एडमिनिस्ट्रोन: विंडोज एनटी/2000, लिनक्स, यूनिक्स, फायरवाल, सोलारिस।
  •   मेनफ्रेम: सिस्टम प्रोग्रामर्स, आईबीएम एएस400।
  •   अन्य: डॉमिनो सर्वर, सीजीआई/पर्ल, पायथन, डेवलपर2000, वेब टेक्नॉलॉजी-डीएचटीएमएल, एक्सएमएल।
  •   उपर्युक्त के अलावा और भी कई अन्य क्षेत्र।
तो फिर अब देर किस बात की। कंप्यूटर का क्षेत्र चुन ही डालिए अपने उज्जवल भविष्य के लिए।
कंप्यूटर और आई.टी. सेक्टर: सबसे ज्यादा रूपैया
     कंप्यूटर और उससे जुड़े आई.टी. सेक्टर में आज जो प्रगति हो रही है, वह सभी के लिए आश्चर्यकारी हैं। विश्व के दस सबसे धनवान लोगों में से आठ आई.टी. सेक्टर से जुड़े लोग हैं, जिनमें पहला नाम है बिल गेट्स का। भारत के सबसे अमीर व्यक्ति श्री अजीम एच. प्रेम जी का पुराना पुश्तैनी व्यवसाय साबुन और तेल जैसी व्यापार दिन दूना बढ़ता गया, और आज वे भारत के सबसे धनी व्यक्तियों में माने जा रहे हैं। आज हम देखें तो कंप्यूटर प्रोग्रामरों को सबसे ज्यादा वेतन, सुविधाएं और कंपनी के स्टॉक ऑप्शन दिए जा रहे हैं, जिसके चलते कंप्यूटर प्रोग्रामर काम के शुरूआती सालों में ही करोड़पति बनने लगे हैं। एक सबसे बड़ा उदाहरण हमारे सामने सबीर भाटिया का ही है, जिसने मात्र दो लाख डॉलर की सहायता से प्रारंभ की गई अपनी आर्इ्र.टी. कम्पनी हाटमेल को इस लायक बनाया कि उसे माइक्रोसॉफ्ट ने चार अरब डॉलर में खरीदा। दरअसल इस क्षेत्र में लायक और टैलेन्टेड लोगों का अकाल है, और आने वाले कुछ समय तक यह स्थिति बनी रहेगी।
     इंडिया टुडे के इंटरनेट के प्रभारी अरूण कटियार अपना अनुभव कुछ यूं बताते हैं कि जब उन्होंने कंप्यूटर और वेब डेवलपमेंट का काम आज से दो साल पहले चालू किया तो लोग उस पर तरस खाते थे। उसके घर के लोग भी सोचते थे पता नहीं, यह कुछ कर पाएगा भी या नहीं। उसके आफिस के चपरासी तक उसकी उपेक्षा करते थे। पर देखते ही देखते स्थिति तेजी से बदली। आज ऐसा कोई दिन ऐसा नहीं बीतता कि उसके पास कोई नया आकर्षक प्रस्ताव नहीं आता हो। यहां तक कि उसके आफिस का चपरासी भी अब समझने लगा है कि यह आदमी इंटरनेट जैसी किसी नई चीज का जानकार है और अब वह उसे ज्यादा जोरदार सलाम ठोंकता है, और विशेष तौर पर साफ किए गए क्राकरी पर गर्म चाय लाकर देता है।

कंप्यूटर शिक्षा : ढेरों विकल्प

     कंप्यूटर कें क्षेत्र में जितने अधिक रोजगार के अवसर हैं, उससे कहीं अधिक विकल्प कंप्यूटर से संबंधित शिक्षा के हैं। यही कारण है कि प्राय: लोग भ्रमित होते रहते हैं कि कौन सा विषय लेकर कंप्यूटर कोर्स किया जाए ताकि उचित रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकेंं। आजकल हर क्षेत्र में कंप्यूटरीकरण हो रहा है। अत: आप किसी भी क्षेत्र में कैसी भी कंप्यूटर शिक्षा लें, आपके लिए रोजगार के अवसर प्रदान करने में सहायक होगी ही। परंतु ॅफिर भी, अगर आप निम्न लिखित बातों का ध्यान रखें तो हो सकता है कि आपको आपके मनचाहे रोजगार के अवसर प्रदान करने में यह सहायक सिध्द हो।

  • अगर आप गणित और विज्ञान विषयों में पारंगत हैं, तो कंप्यूटर प्रोग्रामिंग आपका बढ़िया विषय हो सकता है। आप अगर किसी विश्वविद्यालय या अच्छे संस्थान से संबध्द एम.सी.ए. जैसे पाठयक्रम कर सकें, तो यह बहुत बेहतर होगा। अगर आपका चुनाव इन विशेष पाठयक्रमों में किसी कारण से नहीं होता है, तो भी निराश होने की जरूरत नहीं है। किसी अच्छी संस्था से प्रोग्रामिंग भाषा जैसे सी, विजुअल सी, विजुअल बेसिक, जावा, एच.टी.एम.एल., इत्यादि का कोर्स कर प्रोग्रामर बनने की ओर अग्रसर हो सकते हैं। परंतु ध्यान रखिए, सही प्रोग्रामिंग सीखने के लिए आपको प्रारंभ में खासे धैर्य की जरूरत होगी, परंतु किसी भाषा में एक बार पारंगत हो जाने के बाद आपको आसानी होगी।
  • अगर आप वाणिज्य विषयों में पारंगत हैं, तो कंप्यूटर एकाउंटिग से संबंधित कोर्स कर सकते हैं। कला विषयों के जानकारों के लिए डी.ठी.पी. से संबंधित कोर्स उत्तम रहेंगे।
  • आजकल हर दूसरा व्यावसायिक संस्थान इंटरनेठ पर या तो जाने की तैयारी कर रहा है, या फिर जाने के सपने देख रहा है। इस कारण से वेब रिलेटेड प्रोफेशनल्स की भारी मांग है। आप उचित कोर्स कर वेब डेवलपर, वेब डिजाइनर या वेब एडमिनिस्ट्रेटर बन सकते हैं।
  • आपरेटिंग सिस्टम जैसे विंडोज एन.टी., यूनिक्स, नॉवेल नेटवेयर, लिनक्स, इत्यादि का कोर्स कर आप सिस्टम एडमिनिस्टर बन सकते हैं।
  • अगर आपका ध्येय अमरीका जैसे राष्ट्रों में जाकर अपनी किस्मत आजमाने का है, तो आपको ओरेकल, एसक्यूएल सर्वर, एएसपी या एसएपी जैसे कोर्स सही रहेंगे। परंतु ये सभी विशेष कोर्स करने के लिए आपको महानगरों में जाना होगा, चूंकि प्राय: छोटे स्थानों में इन कंपनियों के मान्यता प्राप्त ट्रेनिंग सेंटर नहीं हैं।
  • किसी भी कोर्स को करने से पहले यह जांच लें कि वह मान्यता प्राप्त है या नहीं। भारत सरकार के ओ से लेकर सी लेवल तक के कोर्स कठिन अवश्य हैं, पर इनकी मान्यता बहुत है। साथ ही माइक्रोसॉफ्ट, लोटस इत्यादि कंपनियों के सर्टिफिकेशन प्रदान करने वाले कोर्स तो रोजगार के हिसाब से उत्तम तो होते ही हैं।
  • कंप्यूटर कोर्स की श्रृंखला में एक नया आयाम हाल के कुछ समय से जुड़ा है- मल्टीमीडिया का। इसमें आडियो, वीडियो, कार्टून एवं एनीमेशन की एडीटिंग एवं प्रोग्रामिंग से संबंधित कोर्स किए जा सकते हैं, परंतु इस क्षेत्र में आपको स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर कम ही मिलेंगे।
  • कंप्यूटर का क्षेत्र इतना विस्तृत है, तथा इसमें प्रतिदिन जो नए डेवलपमेंट हो रहे हैं, उससे हो सकता है कि जो कोर्स आज आप करें, वह कल को काम न आए। अत: आप को हो सकता है कि समय की रफ्तार के साथ चलने के लिए अपने कंप्यूटर ज्ञान को समय समय पर बढ़ाने हेतु कुछ के्रश कोर्स करने में हिचकिचाएं नहीं।
  • उपर्युक्त सभी कोर्स कंप्यूटर सॉफ्टवेयर क्षेत्र के

Wednesday, March 23, 2011

Carrier In Accounts

कॉमर्स में करियर
कॉमर्स वह विषय है, जिसने हर माहौल में अपना प्रभुत्व बनाए रखा है। चाहे डॉक्टर-इंजीनियर बनने का दौर रहा हो या आईटी व दूसरे नए-नए करियर ऑप्शन्स का, कॉमर्स का स्नातक हमेशा बेहतर स्थिति में रहा है। रिसेशन भी उसका मनोबल नहीं तोड़ पाया। तमाम परंपरागत करियर ऑप्शन्स के साथ-साथ अनेक नए ऑप्शन भी कॉमर्स के साथ जुड़ गए हैं, जिन्होंने इस विषय को और भी अधिक आकर्षक बना दिया है। क्या हैं कॉमर्स में संभावनाएं,जानिए विशेषज्ञों की रायः

देशी विदेशी बैंक हों या बहुराष्ट्रीय कंपनियां, सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं का बही खाता हो या कॉर्पोरेट हाउसेज का, कॉमर्स की जरूरत आज कदम कदम पर है। सुबह से लेकर शाम तक चढ़ते-उतरते शेयर बाजार के आंकड़े हों या बैंकों में जमा-पूंजी पर मिलने वाला ब्याज, पैसे कमाने की माथापच्ची हो या दो रुपये से चार बनाने का गुणा-भाग, इन्हें समझने, चलाने और जीवन में आगे बढ़ने का रास्ता दिखाने वाला कोर्स है कॉमर्स यानी वाणिज्य। इसकी जरूरत को देखते हुए ही 12वीं के बाद कॉमर्स में दाखिला पाना या पढ़ाई करना आज स्टेटस सिम्बल बन गया है।

इंजीनियरिंग हो या साइंस के छात्र, उच्च शिक्षा में उनकी नजरें भी आज कॉमर्स से जुड़े कोर्स और एमबीए की तरफ जाने लगी हैं। कॉमर्स पढ़ने की होड़ के कारण ही आज महानगर के कॉलेजों में दाखिले की भीड़ बढ़ गई है। आलम यह कि 90 फीसदी अंक लाने वाले छात्र को भी अच्छे संस्थानों में दाखिला मिलना मुश्किल हो रहा है।

जहां तक 12वीं में कॉमर्स पढ़ कर आगे बढ़ने का सवाल है तो ऐसे छात्रों के लिए आज अवसरों की भरमार है। पारंपरिक क्षेत्र जैसे सीए, सीएस और शिक्षण के अलावा कॉमर्स में कई नए-नए अवसर हैं। शहीद भगत सिंह कॉलेज सांध्य में कॉमर्स के शिक्षक व प्राचार्य डॉ. पीके खुराना कहते हैं, 1975 में जब कॉमर्स पढ़ रहा था तो बच्चे स्मॉल इंडस्ट्री की ओर जाने को लालायित रहते थे। इसकी जगह आज इंटरप्रेन्योरशिप ने ले ली है। 10 में से 7 बच्चे ऐसे मिलेंगे, जो इस क्षेत्र में जाने के इच्छुक दिखते हैं। यहां स्व-उद्यम या रोजगार करके लाखों की कमाई की जा सकती है। इसके लिए विशेष ट्रेनिंग दी जाती है।
कॉमर्स इसके अलावा रियल एस्टेट मैनेजमेंट, इंश्योरेंस एंड रिस्क मैनेजमेंट, कैपिटल मार्केटिंग, मर्चेट बैंकिंग, एडवर्टाइजिंग और इंटरनेशनल बिजनेस जैसे नए क्रिएटिव क्षेत्र लेकर सामने आया है। आईटी मैनेजमेंट, हॉस्पिटल मैनेजमेंट, हैल्थ मैनेजमेंट, न्यू इंटरप्राइज मैनेजमेंट में छात्रों के लिए हर दिन कुछ न कुछ नया करने और आगे बढ़ने का मौका रहता है। बिजनेस कंसल्टेंसी की दुनिया भी छात्रों को काम का अवसर मुहैया करा रही है। डॉ. खुराना के मुताबिक इस क्षेत्र में कई नई शाखाएं छात्रों को फील्ड विशेष का एक्सपर्ट बनने का मौका दे रही हैं। ये चीजें पच्चीस साल पहले बहुत कम थीं।

प्रबंधन का क्षेत्र भी ऐसे छात्रों के लिए खासा मददगार है। आज स्नातक के बाद एमबीए करने के लिए इंजीनियरिंग या सोशल साइंस जैसे सभी विषयों से छात्र आते हैं, लेकिन सफलता की दर सबसे ज्यादा कॉमर्स की पृष्ठभूमि वाले छात्रों की ही होती है। एमबीए अलग-अलग फील्ड के साथ होती है, मसनल एमबीए इन ह्यूमन रिसोर्स, एमबीए इन फाइनेंशियल या मार्केटिंग। जिस तरह की रुचि है, उस तरह का रास्ता चुन कर आगे बढ़ सकते हैं। कॉमर्स मैनेजमेंट की पढ़ाई में विशेष रूप से मददगार है।

कॉमर्स में पारंपरिक करियर के तौर पर सीपीटी परीक्षा पास करके सीए यानी चार्टर्ड अकाउंटेंट का कोर्स ज्वॉइन किया जा सकता है। यह कोर्स स्नातक की पढ़ाई करते हुए भी किया जा सकता है। इसे करने के बाद किसी भी कंपनी, बैंक में, फाइनेंशियल इंस्टीटय़ूट के साथ रिसर्च संस्थान, इक्विटी शेयर, ट्रेजरी या किसी कंपनी में ऑडिट में जा सकते हैं। सीए बन खुद की प्रैक्टिस कर सकते हैं।

पहले से चला आ रहा एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र कंपनी सेक्रेटरी का है। इसके लिए सीए की तरह ही प्रवेश परीक्षा होती है और फिर कोर्स कराया जाता है। इसे करने के बाद जहां भी कंपनी कानून से संबंधित लीगल की जरूरत होती है, वहां आप काम कर सकते हैं। नौकरी करना चाहें तो ठीक है, अन्यथा प्रैक्टिस भी कर सकते हैं। हर कंपनी या कॉर्पोरेट हाउस को ऐसे लोगों की जरूरत रहती है।

कॉमर्स में एक विकल्प फाइनेंशियल एनेलिस्ट बनने का है। इनका काम बैंक या वित्तीय संस्थाओं में फाइनेंशियल डाटा एनलाइज करना होता है। किसमें कितना और कब निवेश करना है, यह सब बताना होता है। बीकॉम के बाद छात्रों के लिए इससे संबंधित कोर्स आईसीएफएआई कराता है।

इन कोर्सेज के अलावा अध्यापन का रास्ता भी एक बड़ा करियर लेकर आता है। बीकॉम करके बीएड या एमकॉम करके बीएड करने के बाद स्कूल में टीजीटी और पीजीटी शिक्षक बन सकते हैं। एमकॉम के बाद कॉलेज, मैनेजमेंट स्कूल और विश्वविद्यालयों में अध्यापन कर सकते हैं। रिसर्च संस्थाओं में काम कर सकते हैं। अकाउंटेंसी वाले छात्र स्नातक करके उन रास्तों पर भी जा सकते हैं, जहां एक आम स्नातक के लिए देश में सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं, चाहे वह कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा हो या सिविल सर्विस की।



प्रमुख संस्थान
श्रीराम कॉलेज ऑफ कामर्स
वेबसाइट: www.srcc.edu
मॉरिस नगर, दिल्ली विश्वविद्यालय

गुरु गोबिन्द कॉलेज ऑफ कॉमर्स, पीतमपुरा, दिल्ली 
वेबसाइट : www.sggscc.com

लोयला कॉलेज, स्टर्लिग रोड, चेन्नई
वेबसाइट: www.loyolacollege.edu

शहीद भगत सिंह कॉलेज, शेख सराय, दिल्ली
वेबसाइट: www.sbsc.ac.in

हंसराज कॉलेज, उत्तरी परिसर, दिल्ली
वेबसाइट : www.hansrajcollege.com

सेंट जेवियर, कोलकाता, मुम्बई,

वाणिज्य कॉलेज, पटना

फैक्ट फाइल
कोचिंग संस्थान

स्नातक स्तर पर कॉमर्स में दाखिले के लिए कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई की परंपरा नहीं है। हालांकि कुछ छात्र व्यक्तिगत ट्य़ूशनों का सहारा जरूर लेते हैं। हां, इस कोर्स में दाखिला प्राप्त करने के बाद ग्रेजुएशन के तीन साल के दौरान तरह-तरह के पेपर पास कराने के लिए छोटे-बड़े शहरों में कई कोचिंग संस्थान खुले हुए हैं, जहां से कोचिंग ले कर तैयारी की जा सकती है।

नौकरी के अवसर

कॉमर्स में पारंपरिक तौर पर सीए, सीएस और कॉस्ट अकाउंटेट के रूप में काम करने के अवसर हैं। अध्यापक, प्रोफेसर का काम भी कॉमर्स का छात्र कर सकता है। इन सबसे हट कर आज के समय में मैनेजमेंट अकाउंटेंसी, इनकम टैक्सेशन अधिकारी, मुख्य फाइनेंशियल अधिकारी बन सकते हैं। बिजनेस कंसल्टेंसी का काम कर सकते हैं।

रिसर्च या वित्तीय संस्थाओं और बैंकिग क्षेत्र में एनेलिस्ट बनने का भी अवसर है। एडवर्टाइजिंग और इंटरनेशनल बिजनेस में एक्सपर्ट बनने का मौका है। एमबीए करने के बाद प्रबंधन के क्षेत्र में भी काम करने के ढेरों अवसर हैं। चाहे वह निजी कंपनियां हों या सरकारी। अपना बिजनस करने का भी मौका छात्रों को है।

वेतन

आमतौर पर कॉमर्स स्नातक को प्रशिक्षु या एग्जीक्यूटिव के रूप में शुरुआती तौर पर कंपनियां 20 से 25 हजार रुपये वेतन दे देती हैं। जैसे-जैसे पद और प्रबंधक के रूप में जिम्मेदारी बढ़ती जाती है, वेतन का स्तर भी वैसे-वैसे ऊंचा होता जाता है। यहां लाख रुपये प्रतिमाह की आमदनी अब आम हो गई है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां और बैंकों में यह वेतन दो लाख से ऊपर चला जाता है।

योग्यता

स्नातक स्तर पर छात्रों को इस कोर्स में 12वीं के अंकों के आधार पर दाखिला दिया जाता है। इस कोर्स में कॉलेजों में सबसे ऊंची कट ऑफ जाती है। कुछ संस्थान टैस्ट या साक्षात्कार की प्रक्रिया भी आयोजित करते हैं। एमकॉम में दाखिला ज्यादातर संस्थानों में प्रवेश परीक्षा के जरिए ही दिया जाता है।

शाखाएं

मार्केटिंग
इंटरप्रेन्योरशिप
टैक्सेशन
ऑर्गनाइजेशनल बिहेवियर
मानव संसाधन विकास 
फाइनेंस
ल्ल स्ट्रैटजी मैनेजमेंट 
लॉजिस्टिक मैनेजमेंट
पब्लिक रिलेशंस

विशेषज्ञ की राय
डॉ. पीसी जैन
एसआरसीसी के प्राचार्य

कॉमर्स की फील्ड में सफल होने के लिए यह जरूरी है कि आपके पास अकाउंटेंसी स्किल, लॉ स्किल, इंकम टैक्स, गणित और अर्थशास्त्र की समझ हो। इस पर पकड़ रखने वाला छात्र आगे सफलता के पायदान पर बेहतर ढंग से चढ़ सकता है।

कॉमर्स में आज किस तरह के नए क्षेत्र दिखाई दे रहे हैं?
पारंपरिक तौर से हट कर आज आईटी मैनेजमेंट, हॉस्पिटल, हैल्थ मैनेजमेंट, इंश्योरेंस मैनेजमेंट, न्यू इंटरप्राइज मैनेजमेंट, अकाउंट मैनेजमेंट, फाइनेंशियल कंट्रोल, रिटेल मैनेजमेंट, सप्लाई एंड चेन मैनेजमेंट और लॉजिस्टिक मैनेजमेंट जैसे कई ऐसे क्षेत्र हैं, जो दो दशक पहले नहीं थे या इक्की-दुक्की जगहों पर ही चलते थे।

इस विषय में सफलता के लिए क्या हुनर होना चाहिए?
जो भी छात्र इस विषय को चुन रहे हैं, उन्हें तभी सफलता मिलेगी, जब उनके पास अकाउंटेंसी स्किल होगी। जरूरी है कि वे कानूनी पेंच की भी जानकारी रखते हों। बहुत से छात्र इसीलिए बीकॉम के साथ-साथ लॉ भी करते हैं। आयकर, गणित और अर्थशास्त्र पर भी मजबूत पकड़ होनी चाहिए। परिश्रम की भी खूब अपेक्षा होती है।

कॉमर्स के छात्र से लेकर प्राचार्य बनने तक इस क्षेत्र में आप क्या बदलाव देखते हैं?
तीन दशक पहले जब छात्र था तो ट्रेडिंग पर फोकस था, अब दौर मैन्युफेक्चरिंग का आ गया है। बिजनेस का आकार बहुत बड़ा हो गया है। पहले जब यह छोटा था तो एक ही व्यक्ति मास्टर के रूप में सभी कामों को संभाल लेता था। आज ऐसा नहीं है। इसमें कई स्पेशलाइज्ड क्षेत्र बन गए हैं, जिनके लिए अलग-अलग तरह के लोगों की जरूरत होती है। इसे ध्यान में रखते हुए ही करियर को चुनना होता है। वेतन और पैकेज में भी बहुत बड़ा फर्क आ गया है। आज के पैकेज की पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।

सक्सेस स्टोरी
कॉमर्स पैसा कमाने का हुनर सिखाता है
प्रोफेसर श्रीराम खन्ना
दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉमर्स विभाग में प्रोफेसर तथा नेशनल कंज्यूमर हैल्प लाइन के संचालक

दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉमर्स विभाग में प्रोफेसर श्रीराम खन्ना ने एक दौर में श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में पढ़ाई करते हुए छात्र राजनीति को भी एक नई दिशा दी थी। पढ़ाई और नेतृत्व क्षमता से लैस प्रो. खन्ना इन दिनों नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन के संचालक भी हैं और देशभर में उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता अभियान भी चला रहे हैं। 1971 में छात्र यूनियन के अध्यक्ष, 1972 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष और फिर कॉमर्स विभाग के अध्यक्ष रहे प्रो खन्ना से बातचीत :

चालीस साल पहले आपने कॉमर्स चुना। उस समय इस कोर्स का क्या क्रेज था?
जिस तरह कॉमर्स में दाखिले को लेकर आज मारामारी है, ऊंचे अंक की दरकार होती है, 1969 में दाखिले के समय भी यही हाल था। अच्छे नम्बर वालों को ही इस कोर्स में दाखिला मिलता था। जो छात्र इंजीनियरिंग आदि में चले जाते थे, उनकी बात अलग थी। लेकिन विश्वविद्यालय में एकेडमिक कोर्सेज में दाखिला पाने वाले छात्रों के बीच कॉमर्स सबसे ऊपर था। 

बीच में छात्र राजनीति में गए, ऐसे में फिर अध्यापन की ओर आने का इरादा कैसे बना? 
बीकॉम करने के बाद एसआरसीसी कॉलेज से एमकॉम भी किया था। बाद में पीएचडी की। कॉलेज या विश्वविद्यालय में अध्यापन के लिए एमकॉम की मांग होती थी, इसलिए इधर आने का मौका मिला। इसके बाद राष्ट्रीय या क्षेत्रीय राजनीति में आगे नहीं बढ़ा।

इस क्षेत्र में किस-किस तरह का करियर देखते हैं 
कॉमर्स सरकारी और गैर-सरकारी, दोनों क्षेत्रों में नौकरी के सबसे ज्यादा अवसर लेकर सामने आता है। यह विषय इस बात का भी ज्ञान देता है कि आप चाहें तो अपना उद्योग या व्यवसाय भी शुरू कर सकते हैं।

क्या इसमें रचनात्मक काम करने की संभावना है?
अन्य विषयों से हट कर यहां रचनात्मक काम करने की स्पेस खूब है। यह उत्पाद को बाजार तक पहुंचाने और पैसा कमाने का हुनर सिखाता है। इसमें उद्यमी बन कर नए-नए क्षेत्रों में काम करने की भी आजादी होती है। आज युवाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में रचनात्मक काम करने के कई अवसर हैं।
(जानकारी गूगल से साभार)
संजय राणा  (संस्थापक व् संचालक  जी आर आर एम एजुकेशनल ग्रुप )