Posted: 30 Mar 2011 10:30 AM PDT
विविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने दूरस्थ एमफिल और पीएचडी पर दो साल पहले लगाए गए प्रतिबंध को हटाने के लिए वैधानिक सलाह लेने का फैसला लिया है। बता दें कि इस प्रतिबंध को विभिन्न विविद्यालय अपनी स्वायत्तता पर दखल मानते हैं। इंदिरा गांधी मुक्त विविद्यालय और अन्य मुक्त विविद्यालयों और अन्य विवि की आपत्ति है कि संसद और विधानसभाओं द्वारा पारित कानून उन्हें दूरस्थ एमफिल और पीचडी कोर्स चलाने की इजाजत देते हैं। बता दें कि 2009 में यूजीसी ने एमफिल व पीएचडी डिग्री प्रदान करने के न्यूनतम मानक और प्रक्रिया के तहत दूरस्थ एमफिल व पीएचडी कोर्स पर प्रतिबंध लगाया था। यूजीसी का कहना था कि दूरस्थ पीएचडी और एमफिल की गुणवत्ता बहुत खराब होती है। यूजीसी के इस कदम से देश भर के दूरस्थ एमफिल व पीएचडी के लगभग 10 हजार विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लग गया था। यहां तक कि ऐसी डिग्रियां प्राप्त कर चुके विद्यार्थियों की डिग्री की मान्यता पर भी सवाल खड़े हो गए थे। हालांकि इग्नू ने यूजीसी के इस प्रतिबंध को स्वीकार नहीं किया और वह अपने कोर्स चलाते रहे हैं। इग्नू का मानना है कि यूजीसी के ये नियम उस पर लागू नहीं होते क्योंकि संसद से पारित कानून इग्नू को इस किस्म के कोर्स चलाने की इजाजत देता है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक पिछली तीन फरवरी को दिल्ली में आयोजित यूजीसी की बैठक में इस विषय पर चर्चा हुई और यूजीसी ने इस मामले में कानूनी राय लेने की कोशिश की है कि क्या उसके रेगुलेशन सचमुच विविद्यालयों की शक्तियों को कम कर रहे हैं। उम्मीद है कि कानूनी राय के बाद दूरस्थ पीएचडी व एमफिल कोसरे से प्रतिबंध हट जाएगा(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,30.3.11)।
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