डिमांड में कम्प्यूटर अकाउंटिंग
इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने अकाउंटिंग जैसे मुश्किल काम को भी आसान कर दिया है। सिर्फ जरूरत है इसके लिए सब्जेक्ट की बेसिक नॉलेज के साथ-साथ सॉफ्टवेयर्स की प्रैक्टिकल नॉलेज और कम्प्यूटर ऑपरेशन में दक्षता की
अकाउंटिंग का काम बेहद जिम्मेदारी का है। इसमें पाई-पाई का हिसाब रखना होता है। जरा-सी गलती से सारा हिसाब-किताब उल्टा-पुल्टा हो सकता है। अब तक यह माना जाता रहा है कि बीकॉम या एमकॉम करके ही अकाउंटिंग के काम में सिद्धहस्त हुआ जा सकता है, लेकिन आईटी रिवॉल्यूशन ने अन्य क्षेत्रों की तरह अकाउंटिंग की दुनिया को भी बदल दिया है। यही कारण है कि अब दुनिया की किसी भी कम्पनी में मोटे-मोटे बही-खाते देखने को नहीं मिलते। इसकी बजाय अब सारा काम कम्प्यूटर की मदद से किया जाने लगा है। विशेष रूप से बनाए गए सॉफ्टवेयर्स (जैसे-टैली) की मदद से तमाम तरह की कैलकुलेशन पलक झपकते ही हो जाती हैं। इन सभी कामों के लिए अकाउंटिंग के बेसिक ज्ञान के साथ-साथ कम्प्यूटर संचालन की जानकारी जरूरी है, जिसे बहुत कम समय में सीखकर महारत हासिल की जा सकती है। खास बात यह है कि इसे किसी अच्छे संस्थान से महज बारहवीं के बाद ही किया जा सकता है और उसके तत्काल बाद कम से कम आठ से दस हजार रूपए प्रतिमाह की सैलरी पर आसानी से जॉब प्राप्त किया जा सकता है। इसका कारण यह है कि अब प्राय: सभी छोटी-बड़ी कम्पनियों में बीकॉम/एमकॉम की बजाय कम्प्यूटर अकाउंटिंग में दक्ष व्यक्ति की डिमांड है। यदि बीकॉम या एमकॉम स्टूडेंट कम्प्यूटर अकाउंटिंग का कोर्स कर लेते हैं, तो उनके लिए सोने पर सुहागा वाली स्थिति होगी। निजी क्षेत्र की कम्पनियों द्वारा ऎसे अकाउंटिंग एक्सपर्ट की भारी मांग को देखते हुए इनसे संबंधित कोर्स कराने वाले तमाम इंस्टीट्यूट प्राय: सभी शहरों में मौजूद हैं। लेकिन ऎसा कोर्स उसी संस्थान से करें, जहां बेसिक के साथ-साथ अपडेटेड जानकारी और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी दी जाती हो। इस तरह का कोर्स आमतौर पर छह माह से लेकर एक साल की अवधि का होता है और इसमें बारहवीं के बाद भी एडमिशन लिया जा सकता है
क्या सिखाते हैं कोर्स में
ऎसे कोर्स को आमतौर से सर्टिफाइड इंडस्ट्रियल अकाउंटेंट के नाम से जाना जाता है। इसके तहत सबसे पहले कॉमर्स, बैंकिंग, टैक्सेशन, टैक्स लॉ आदि की बुनियादी जानकारी दी जाती है। इसके बाद बिजनेस कम्प्यूटर एप्लीकेशन, फाइनेंशियल अकाउंटिंग, एडवांस्ड प्रैक्टिकल अकाउंट्स, टैक्सेशन, एक्साइज एंड सर्विस टैक्स, पे-रोल एंड इन्वेस्टमेंट्स, बैंकिंग और फाइनेंस से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी विस्तार से दी जाती है। कोर्स के साथ-साथ प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी दी जाती है, ताकि स्टूडेंट्स ट्रेनिंग पूरी करने के बाद एक प्रोफेशनल के रूप में तुरंत काम आरम्भ कर सकें।
इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने अकाउंटिंग जैसे मुश्किल काम को भी आसान कर दिया है। सिर्फ जरूरत है इसके लिए सब्जेक्ट की बेसिक नॉलेज के साथ-साथ सॉफ्टवेयर्स की प्रैक्टिकल नॉलेज और कम्प्यूटर ऑपरेशन में दक्षता की
अकाउंटिंग का काम बेहद जिम्मेदारी का है। इसमें पाई-पाई का हिसाब रखना होता है। जरा-सी गलती से सारा हिसाब-किताब उल्टा-पुल्टा हो सकता है। अब तक यह माना जाता रहा है कि बीकॉम या एमकॉम करके ही अकाउंटिंग के काम में सिद्धहस्त हुआ जा सकता है, लेकिन आईटी रिवॉल्यूशन ने अन्य क्षेत्रों की तरह अकाउंटिंग की दुनिया को भी बदल दिया है। यही कारण है कि अब दुनिया की किसी भी कम्पनी में मोटे-मोटे बही-खाते देखने को नहीं मिलते। इसकी बजाय अब सारा काम कम्प्यूटर की मदद से किया जाने लगा है। विशेष रूप से बनाए गए सॉफ्टवेयर्स (जैसे-टैली) की मदद से तमाम तरह की कैलकुलेशन पलक झपकते ही हो जाती हैं। इन सभी कामों के लिए अकाउंटिंग के बेसिक ज्ञान के साथ-साथ कम्प्यूटर संचालन की जानकारी जरूरी है, जिसे बहुत कम समय में सीखकर महारत हासिल की जा सकती है। खास बात यह है कि इसे किसी अच्छे संस्थान से महज बारहवीं के बाद ही किया जा सकता है और उसके तत्काल बाद कम से कम आठ से दस हजार रूपए प्रतिमाह की सैलरी पर आसानी से जॉब प्राप्त किया जा सकता है। इसका कारण यह है कि अब प्राय: सभी छोटी-बड़ी कम्पनियों में बीकॉम/एमकॉम की बजाय कम्प्यूटर अकाउंटिंग में दक्ष व्यक्ति की डिमांड है। यदि बीकॉम या एमकॉम स्टूडेंट कम्प्यूटर अकाउंटिंग का कोर्स कर लेते हैं, तो उनके लिए सोने पर सुहागा वाली स्थिति होगी। निजी क्षेत्र की कम्पनियों द्वारा ऎसे अकाउंटिंग एक्सपर्ट की भारी मांग को देखते हुए इनसे संबंधित कोर्स कराने वाले तमाम इंस्टीट्यूट प्राय: सभी शहरों में मौजूद हैं। लेकिन ऎसा कोर्स उसी संस्थान से करें, जहां बेसिक के साथ-साथ अपडेटेड जानकारी और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी दी जाती हो। इस तरह का कोर्स आमतौर पर छह माह से लेकर एक साल की अवधि का होता है और इसमें बारहवीं के बाद भी एडमिशन लिया जा सकता है
क्या सिखाते हैं कोर्स में
ऎसे कोर्स को आमतौर से सर्टिफाइड इंडस्ट्रियल अकाउंटेंट के नाम से जाना जाता है। इसके तहत सबसे पहले कॉमर्स, बैंकिंग, टैक्सेशन, टैक्स लॉ आदि की बुनियादी जानकारी दी जाती है। इसके बाद बिजनेस कम्प्यूटर एप्लीकेशन, फाइनेंशियल अकाउंटिंग, एडवांस्ड प्रैक्टिकल अकाउंट्स, टैक्सेशन, एक्साइज एंड सर्विस टैक्स, पे-रोल एंड इन्वेस्टमेंट्स, बैंकिंग और फाइनेंस से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी विस्तार से दी जाती है। कोर्स के साथ-साथ प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी दी जाती है, ताकि स्टूडेंट्स ट्रेनिंग पूरी करने के बाद एक प्रोफेशनल के रूप में तुरंत काम आरम्भ कर सकें।
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