Click here for Myspace Layouts
मुख्य साईट पर जाने के लिए यहाँ क्लिक करें grrminstitute

Wednesday, March 23, 2011

साफ्टवेयर इंजीनियरिंग में है साफ्ट कैरियर


साफ्टवेयर इंजीनियरिंग के  क्षेत्र में पब्लिक सेक्टर में कंपनियां शुरुआत में साफ्टवेयर इंजीनियरों को 8000 से 12000 रुपए प्रति महीना वेतनमान देती हैं। इसके साथ ही निजी कंपनियों में एक योग्य साफ्टवेयर इंजीनियर शुरुआत में 20000 से 25000 रुपए प्रति महीना वेतनमान आसानी से पा सकता है। अपने अनुभव और शैक्षणिक योग्यता के आधार पर एक साफ्टवेयर इंजीनियर 50000 से 60000 रुपए प्रति महीना भी प्राप्त कर सकता है। प्रदेश में 16 कालेज सरकारी व निजी क्षेत्र में कम्प्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग के कोर्स करवा रहे हैं। हिमालयन ग्रुप आफ इंस्टीच्यूशंज कालाअंब में कम्प्यूटर साइंस में 60 सीटों का प्रावधान है…
आईटी का मतलब कम्प्यूटर और कम्युनिकेशन का गठजोड़ है। अगर आप दो कम्प्यूटरों या उससे ज्यादा कम्प्यूटरों के बीच कम्युनिकेशन करना चाहते हैं, तो आपको आईटी की सहायता लेनी होगी। आज कम्प्यूटर के बढ़ते यूज की वजह से आईटी रोजगार का सबसे बड़ा फील्ड बनकर उभरा है। हरेक फील्ड में तेजी के बाद मंदी आती है, लेकिन यह फील्ड दिनोंदिन तरक्की कर रहा है। आईटी की दिनोंदिन तरक्की की वजह इसका हर फील्ड में दखल होना है। आईटी प्रोफेशनल डाटा मैनेजमेंट, नेटवर्किंग, इंजीनियरिंग, कम्प्यूटर हार्डवेयर, डाटाबेस से लेकर साफ्टवेयर डिजाइन तक सभी फील्ड्स में काम करते हैं।
साफ्टवेयर इंडस्ट्री
1970 में पर्सनल कम्प्यूटर फील्ड में आई क्रांति के साथ ही साफ्टवेयर इसका एक जरूरी हिस्सा बन गया था। इस फील्ड की ग्रोथ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साफ्टवेयर मैगजीन साफ्टवेयर 500 के मुताबिक 2006 में दुनिया की टॉप 500 साफ्टवेयर कंपनियों का टर्नओवर 394 बिलियन डॉलर था, जो कि पिछले साल के मुकाबले 3.5 फीसदी ज्यादा था। साफ्टवेयर कंपनियों ने कम्प्यूटर के माध्यम से ट्रेनिंग और कंसल्टेंसी सर्विस शुरू कर मोटा मुनाफा कमाना शुरू कर दिया। इन कंपनियों में सिलिकॉन वैली बेस्ड यूएस की कंपनियां सबसे आगे हैं।
साफ्टवेयर इंजीनियरिंग
किसी भी साफ्टवेयर के डिवेलपमेंट, आपरेशन और मेंटेनेंस का काम साफ्टवेयर इंजीनियरिंग के अंदर आता है। इसके अलावा इसमें साफ्टवेयर रिक्वायरमेंट, डिजाइन, कंस्ट्रक्शन और साफ्टवेयर टेस्टिंग भी शामिल किए जाते हैं। साफ्टवेयर इंजीनियरिंग में इतनी सारी चीजें शामिल होने की वजह से इस फील्ड में रोजगार की संभावनाएं दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं।
साफ्टवेयर डिवेलपमंेट
आजकल लोगों की जरूरतें तेजी से बढ़ती जा रही हैं। इसी वजह से लोग नए साफ्टवेयर्स की डिमांड करने लगे हैं। उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए साफ्टवेयर डिवेलपमंेट प्रोसेस के तहत नए साफ्टवेयर का डिवेलपमंेट किया जाता है। यह पूरी तरह से मार्केट में साफ्टवेयर प्रोडक्ट की डिमांड और मार्केटिंग गोल पर डिपेंड करता है। साफ्टवेयर इंजीनियर लोगों की जरूरतों को देखते हुए काफी रिसर्च के बाद नए साफ्टवेयर का डिवेलपमेंट करते हैं। जरूरी नहीं है कि हरेक साफ्टवेयर लोगों की उम्मीदों पर खरा ही उतरता है। कई बार साफ्टवेयर पूरी तरह फेल भी हो जाता है। साफ्टवेयर के फेल होने के खतरे को ध्यान में रखते हुए इंजीनियर पहले ही क्लाइंट से इस बारे में समझौता कर लेते हैं कि फेल होने की कंडीशन में भी उसको रिसर्च पर आया खर्च उठाना पड़ेगा।
साफ्टवेयर डिजाइन
साफ्टवेयर कम्प्यूटर का एक महत्त्वपूर्ण पार्ट होते हैं, जिनके बिना आप उस पर काम नहीं कर सकते। कई बार इन साफ्टवेयर्स में प्रॉब्लम आ जाती है। ऐसे में इन्हें ठीक करने के लिए साफ्टवेयर डिजाइन प्रोसेस यूज किया जाता है। इसके तहत साफ्टवेयर डिवेलपर साफ्टवेयर को ठीक करने के लिए एक प्लान तैयार करता है। इसी प्लान के बेस पर खराब साफ्टवेयर को ठीक किया जाता है। ऐसा नहीं है कि सभी साफ्टवेयर्स के लिए प्लान बनाया जाता है। कुछ साफ्टवेयर्स को बिना प्लान के भी ठीक कर दिया जाता है, लेकिन ज्यादा बड़ी परेशानियों को प्लान बनाए बिना नहीं सुलझाया जा सकता।
साफ्टवेयर की किस्में
साफ्टवेयर कम्प्यूटर की दुनिया का एक बेहद जरूरी पार्ट बन गए हैं। इसलिए कंपनियां लोगों की जरूरत के हिसाब से अलग-अलग तरह के साफ्टवेयर बनाती हैं। साफ्टवेयर के मुख्य प्रकारः
प्रोप्राइटरी साफ्टवेयरः माइक्रोसाफ्ट जैसी कंपनियां प्रोप्राइटरी साफ्टवेयर बनाती हैं। इन साफ्टवेयर्स पर पूरी तरह कंपनी का अधिकार होता है और वह चाहती है कि लोग इसे खरीद कर यूज करें।
इस तरह से कंपनियों को इन साफ्टवेयर्स से काफी लंबे वक्त तक कमाई होती रहती है। हालांकि ये काफी महंगे होते हैं। इसलिए लोग इन्हें कॉपी करके यूज कर लेते हैं। कंपनियों को इससे काफी नुकसान होता है।
ओपन सोर्स साफ्टवेयरः जबकि आईबीएम और सन माइक्रोसिस्टम जैसी कंपनियां फ्री और ओपन सोर्स साफ्टवेयर बनाती हैं। इसके तहत आम पब्लिक को उस साफ्टवेयर का सोर्स कोड बता दिया जाता है, जिससे एक बार मार्केट में आने के बाद इन्हें कोई भी फ्री आफ कॉस्ट यूज कर सकता है।
फ्रीवेयरः फ्रीवेयर वे साफ्टवेयर होते हैं, जिन्हें पब्लिक के बीच अनलिमिटेड टाइम के लिए फ्री कर दिया जाता है। दरअसल इसके पीछे इस साफ्टवेयर की मालिक कंपनी की सोच सोसायटी को कुछ वापस करने की होती है।
शेयरवेयरः शेयरेवयर वे साफ्टवेयर होते हैं, जिनसे आपका सामना अकसर इंटरनेट पर होता रहता है। आपके पास इन साफ्टवेयर्स को खरीदने से पहले एक बार यूज करके देखने का भी ऑप्शन होता है। आप चाहें, तो एक बार ट्राई करने के बाद इन्हें खरीद सकते हैं या फिर इनको वापस भी कर सकते हैं।
रोजगार की संभावनाएं
आजकल सभी कंपनियां अपनी जरूरतों के हिसाब से स्पेशल सॉफ्टवेयर डिवेलप कराती हैं। इसलिए हर फील्ड में साफ्टवेयर की जरूरत होने से साफ्टवेयर इंजीनियर की डिमांड काफी बढ़ गई है। साफ्टवेयर इंजीनियर गारमेंट कंपनी, प्राइवेट कंपनी और एनजीओ के साथ काम कर सकते हैं। कई ऑर्गेनाइजेशन साफ्टवेयर इंजीनियर्स को अपने किसी स्पेशल साफ्टवेयर के डिवेलपमंेट का टास्क भी देते हैं। इसके अलावा बतौर फ्रीलांसर भी काम किया जा सकता है। एक अनुमान के मुताबिक आने वाले दो सालों में भारत में 10 लाख आईटी प्रोफेशनल्स की आवश्यकता होगी।
शैक्षणिक योग्यता
बतौर साफ्टवेयर इंजीनियर कैरियर की शुरुआत करने के लिए आपको साफ्टवेयर इंजीनियरिंग में डिग्री लेनी होगी। यह बैचलर और इंजीनियरिंग और मास्टर आफ इंजीनियरिंग में से कोई भी हो सकती है। इसके अलावा आईटी फील्ड में कैरियर बनाने के लिए बैचलर आफ कम्प्यूटर एप्लिकेशन (बीसीए) और मास्टर आफ कम्प्यूटर एप्लिकेशन (एमसीए) जैसे कोर्स भी किए जा सकते हैं।
वेतनमान
वर्तमान में इन्फार्मेशन टेक्नोलाजी के बढ़ते विकास को देखते हुए साफ्टवेयर इंजीनियरों की मांग में बेतहाशा वृद्धि हुई है। पब्लिक सेक्टर में कंपनियां शुरुआत में साफ्टवेयर इंजीनियरों को 8000 से 12000 रुपए प्रति महीना वेतनमान देती हैं। इसके साथ ही निजी कंपनियों में एक योग्य साफ्टवेयर इंजीनियर शुरुआत में 20000 से 25000 रुपए प्रति महीना वेतनमान आसानी से पा सकता है। अपने अनुभव और शैक्षणिक योग्यता के आधार पर एक साफ्टवेयर इंजीनियर 50000 से 60000 रुपए प्रति महीना भी प्राप्त कर सकता है। एक साफ्टवेयर प्रोग्रामर अपनी कंसल्टेंसी फर्म खोलकर अच्छी कमाई कर सकता है।
कोर्सेज
  • बीएससी (ऑनर्स) इन साफ्टवेयर इंजीनियरिंग
  • एमई इन साफ्टवेयर इंजीनियरिंग
  • एमटेक इन साफ्टवेयर इंजीनियरिंग
  • डिप्लोमा इन साफ्टवेयर इंजीनियरिंग
  • एमएससी इन साफ्टवेयर इंजीनियरिंग
  • सर्टिफिकेट कोर्स इन साफ्टवेयर इंजीनियरिंग
  • पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स इन साफ्टवेयर इंजीनियरिंग
  • एडवांस डिप्लोमा इन साफ्टवेयर इंजीनियरिंग
  • डिस्टेंस लर्निंग कोर्स इन साफ्टवेयर इंजीनियरिंग
  • डग्री कोर्स इन साफ्टवेयर इंजीनियरिंग
संस्थान
  • एनआईटी, हमीरपुर
  • हिमालयन ग्रुप आफ इंस्टीच्यूट्स, कालाअंब
  • ग्रीन हल्ज कालेज, कुमारहट्टी
  • आईआईटी कालेज आफ इंजीनियरिंग, कालाअंब
  • एमजी इंस्टीच्यूट आफ कम्प्यूटर साइंस, बड़ू साहिब
  • एलआर इंस्टीच्यूट, सोलन
  • टीआर अभिलाषी कालेज, मंडी
  • हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी, शिमला
  • जेपी यूनिवर्सटी आफ इन्फार्मेशन टेक्नोलाजी,  वाकनाघाट
  • चित्कारा यूनिवर्सिटी, बरोटीवाला

No comments:

Post a Comment